भारत सरकार ने देश के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों को लोगों तक पहुंचाने और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ‘देखो अपना देश’ अभियान को और आगे बढ़ाया है। इस पहल के तहत अब कई नए ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों को देश के टूरिज्म मैप में शामिल किया गया है।
सरकार का मकसद साफ है –
राज्यों में हो रही खास पहलें:
राजस्थान:
राजस्थान हमेशा से अपनी रॉयल विरासत, महलों और किलों के लिए मशहूर रहा है। अब यहाँ हेरिटेज वॉक, लोककला प्रदर्शन और कल्चरल फेस्टिवल्स का आयोजन किया जा रहा है। जयपुर, उदयपुर, जोधपुर जैसे शहरों में टूरिस्ट सिर्फ महल देखने नहीं, बल्कि वहां के इतिहास को जीने आ रहे हैं।
गुजरात:
गुजरात में अब सिर्फ गिर के शेरों की बात नहीं हो रही — यहाँ के ऐतिहासिक मंदिरों, स्थापत्य कला और लोककथाओं को भी टूरिज्म से जोड़ा जा रहा है। धोलावीरा, पावागढ़, और चंपानेर जैसे कम चर्चित लेकिन बेहद ऐतिहासिक स्थानों को अब खास हेरिटेज टूर सर्किट का हिस्सा बनाया गया है।
उत्तर प्रदेश:
उत्तर प्रदेश में काशी, अयोध्या और मथुरा जैसे धार्मिक स्थलों को नए अंदाज़ में पेश किया जा रहा है। यहां सांस्कृतिक कार्यक्रम, घाट वॉक, और लोक संगीत की प्रस्तुतियाँ अब टूरिस्टों को सिर्फ धार्मिक ही नहीं, बल्कि एक समृद्ध सांस्कृतिक अनुभव भी दे रही हैं।
‘देखो अपना देश’ – क्यों है ये जरूरी?
भारत जैसे विशाल और विविधता से भरे देश में, हर राज्य, हर ज़िले के पास कुछ न कुछ खास है। लेकिन अक्सर लोग विदेशी टूरिज्म को प्राथमिकता देते हैं, जबकि अपने देश में ही कई खजाने जैसे हेरिटेज प्लेसेज़ मौजूद हैं।
‘देखो अपना देश’ अभियान का उद्देश्य है:
देशवासियों को अपने ही देश के अनोखे स्थलों से जोड़ना
छोटे शहरों और गांवों में भी पर्यटन से आर्थिक विकास लाना
युवा पीढ़ी को अपने इतिहास और विरासत से परिचित कराना
टेक्नोलॉजी का भी हो रहा इस्तेमाल:
सरकार इन हेरिटेज साइट्स के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए वर्चुअल टूर, मोबाइल ऐप्स और वेबसाइट्स का सहारा ले रही है। अब आप अपने मोबाइल पर ही पहले से तय कर सकते हैं कि कहां जाना है, क्या देखना है और क्या अनुभव करना है।
क्या बदलेगा इससे?
स्थानीय रोजगार बढ़ेगा – लोक कलाकारों, गाइड्स, दुकानदारों को काम मिलेगा
संस्कृति का संरक्षण होगा – लोककला और परंपराएं जिंदा रहेंगी
कम भीड़ वाले टूरिस्ट प्लेसेज़ सामने आएंगे – जिससे बड़े शहरों पर दबाव कम होगा
Dekho Apna Desh
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